वैसे तो धनिया के पौधे के सभी भाग खाने योग्य होते हैं, लेकिन ताजी हरी पत्तियां और सूखे बीज पारंपरिक रूप से खाना पकाने में उपयोग किए जाने वाले मुख्य हिस्से हैं। एक रिसर्च के मुताबिक धनिया का उपयोग ईरान में चिंता और अनिद्रा से राहत के लिए एक औषधि के रूप में किया गया है। धनिया के बीज का उपयोग पारंपरिक भारतीय चिकित्सा में किया जाता रहा है।
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धनिया के अन्य औषधीय मूल्य और उपयोग
धनिया के बीजों में अत्यधिक औषधीय महत्व होता है और ये वायुनाशक, मूत्रवर्द्धक, टॉनिक, पेट के लिए, शीतलक और कामोत्तेजक होते हैं।
यह अन्य दवाओं की गंध को छिपाने के लिए उपयोगी।
इलायची और अजवायन के साथ इसके बीजों का अर्क पेट फूलना, अपच, उल्टी और आंतों के विकारों के खिलाफ उपयोगी है।
धनिया का तेल कार्मिनेटिव के रूप में या स्वाद को ढकने (Masking) के लिए या अन्य दवाओं के गुणों को ठीक करने के लिए फ्लेवरिंग एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
इसके बीज विटामिन ए और सी के समृद्ध स्रोत और अच्छे क्षुधावर्धक हैं।
सांसों की दुर्गंध और मादक द्रव्यों के नशीले प्रभाव को ठीक करने के लिए भी यह चबाया जाता है।
इसके बीज से बना लेप सिरदर्द में उपयोगी होता है।
इसके तले हुए बीजों का अर्क या चूर्ण बच्चों के पेट के दर्द में बहुत उपयोगी होता है।
इसके भुने हुए बीज अपच में उपयोगी होते हैं।
धनिया रक्त शर्करा (Blood Sugar) को कम करने में मदद कर सकता है।
यह प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है।
यह हृदय स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा सकता है।
यह पाचन और आंत स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकता है।
यह मस्तिष्क स्वास्थ्य की रक्षा भी कर सकता हैं।
यह संक्रमण से भी लड़ सकता है।
बवासीर से खून आने पर इसका दूध और चीनी के साथ काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होता है।
धनिये के सूखे बीजों को पानी के साथ पिएं, इसमें थोड़ा सा पानी मिलाकर एक घंटे के लिए रख दें, फिर इसमें चीनी के क्रिस्टल और शहद मिलाकर पॉलीडिप्सिया और जलन की स्थिति में थोड़े-थोड़े अंतराल पर सेवन करना चाहिए।
धनिया, जीरा और कृष्ण जीरा का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर गुड़ में उबालकर सेवन करने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।