फसल अवशेष प्रबंधन : पर्यावरण व मृदा के लिए उपयोगी

फसल अवशेष से तात्पर्य है की फसल काटने एव मँड़ाई उपरान्त दोनों के अतरिक्त खेत में बचे पौधो के हिस्सो से है भारत एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था और बड़ी मात्रा में कृषि अपशिष्ट उत्पन करता है किसानो द्वारा फसलों के अवशेषो का उचित प्रबंधन करने पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता फसल अवशेषो को जलाना एक आम बात है जो एक गंभीर समस्या है।

फसल अवशेषो के प्रबंधन से होने वाले लाभ

फसल अवशेषो को जलाने के अलावा उनको वापस भूमि में मिलाने से बहुत लाभ होते है जैसे-

  1. दलहनी फसलों के फसल अवशेष भूमि में नत्रजन एव अन्य पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाने में सहायक है।
  2. फसल अवशेष कम्पोस्ट खाद बनाने में सहायक है जो मृदा की भौतिक रासायनिक एव जैविक क्रियाओ में लाभदायक है।
  3. मृदा के जीवांस में हो रहे लगातार ह्रास को कम करने में योगदान करता है ।
  4. पादप अवशेष मल्च के रूप में प्रयोग करने से मृदा जल संरक्षण के साथ साथ फसलों को खरपतवारो से बचाने में सहायता मिलती है।
  5. मृदा जल धारण क्षमता में बढ़ोतरी व कम सिंचाई की आवश्यकता होती है तथा जल क्षरण भी कम होता है।
  6. एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन के घटक के रूप में फसल अवशेष का भी अहम योगदान प्राप्त होता है।
  7. मृदा वायु संचार में बढ़ोतरी होती है।

फसल अवशेषो को जलाने से होने वाली हानिया

  1. फसल अवशेषो को जलाने से वायुमंडल व मृदा ताप में बढ़ोतरी होती है जिसके कारण मृदा के भौतिक रासायनिक एव जैविक दशा पे विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  2. फसल अवशेष जलाने से भूमि की ऊपरी परत में मोजूद पोशाक तत्व, जीवांस व कार्बनिक पदार्थ जलकर नष्ट हो जाते है।
  3. फसल अवशेषो को जलाना न सिर्फ किसानो के लिये हानिकारक है। इससे प्रकृति, पर्यावरण व भूमि भी प्रदूषित होती है।
  4. फसल अवशेषो को जलाने से भूमि का उर्वरा शक्ति ओर जलधारण क्षमता कम हो जाती है।
  5. फसल अवशेषो के जलाने से मित्र कीट भी जल कर मर जाते है जिसके कारण वातावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  6. फसल अवशेष जलना कई बार हादशो का कारण बन जाता है।
  7. सूक्षम जीवाणु की संख्या में फसल अवशेष जलने पर भारी गिरावट आती है ऐसा होने से भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर होने लगती है।

फसल अवशेष प्रबंधन परियोजना हेतु-कृषि यंत्र मशीनरी

  1. सुपर एस एम एस या स्ट्रोचो पर से फसल अवशेषों को बारिक टुकड़ो मे काटकर भूमि पर फैलाया और हैप्पीसीडर से व्हीट कि सीधी बिजाई करे।
  2. फसल अवशेषों को मलकहर से सीधी मिटटी मे मिलाये उल्टा हल से फसल अवशेषों को मिट्टी मे दबाये।
  3. स्ट्रोचोपर, हीरक, स्ट्रोबेलर का पर्योग कर के फसल अवसेशो को गाठबनाये ओर आमदनी बढ़ाये।
  4. जीरोड्रिल, रोटोवर, रीपरबाइंडर ओर स्थानीय उपयोग ओर सस्ते यंत्रो को भी फसल अवशेषों का प्रबंधन हेतु अपनाये।

लेखक विवरण

 (*सुशील, ओम प्रकाश जीतरवाल, राहुल राज भारती एवं कृष्ण कुमार भारद्वाज )

         *चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा

* chauhan.sushil1367@gmail.com  

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