दैनिक जीवन शैली में आँवला का महत्व (Importance of Aonla/Amla in daily lifestyle)

स्वास्थ्यवर्धन गुण से भरपुर है आंवला

Aonla

आँवला (Aonla/Amla/Indian Gooseberry) युफ़ोरबिएसी परिवार का पौधा है। इसे अमृत फल तथा कल्प वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है। आँवले की विशेषतायें हैं, पोषण एवं औषधीय  गुणों से भरपूर तथा विभिन्न रूपों में (खाद्य, प्रसाधन, आयुर्वेदिक) उपयोग के कारण आँवला 21वी सदी का प्रमुख फल हो सकता है। यह फल भारतीय उपमहाद्वीप के गीले जंगलों और पहाड़ी क्षेत्रों में शरद ऋतु में फलीभूत होता है और भारत में एक पवित्र वृक्ष के रूप में भी माना जाता है । इसके फल खट्टे स्वाद के साथ, बहुत पौष्टिक है और अद्भुत स्वास्थ्य लाभ की एक सूची के साथ प्रदान करता है । दोनों, सूखे और ताजे फल के लिए उपयोग किया जा सकता है।

हिन्दू धर्म के अनुसार आँवले के फल का लगातार 45 दिनों तक सेवन करते रहने वाले व्यक्ति में नई शारीरिक स्फूर्ति आती है तथा कायाकल्प हो जाता है। आंवला एक मूत्रवर्धक एजेंट के रूप में कार्य करता है, जिससे भोजन अवशोषण को बढ़ाने, पेट में एसिड संतुलन और मस्तिष्क और मानसिक कामकाज पौष्टिक । यह फेफड़ों को मजबूत, प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है, मूत्र प्रणाली में मदद करता है, त्वचा की गुणवत्ता में सुधार, और स्वस्थ बालों को बढ़ावा देता है । आंवला प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में मदद करता है, गले के संक्रमण के इलाज, रक्त शर्करा के स्तर को कम करने, और हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है ।

            आँवले के पौधों के प्रत्येक भाग का आर्थिक महत्व है। इसके फलों में विटामिन ‘सी’ की अत्यधिक मात्रा पायी जाती है। इसके अतिरिक्त इसके फल लवण, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस, कैल्शियम, लोहा, रेशा एवं अन्य विटामिनों के भी धनी होते हैं। इसका फल तीक्ष्ण शीतलता दायक एवं मूत्रक और मृदुरेचक होता है। एक चम्मच आँवले के रस को यदि शहद के साथ मिला कर सेवन किया जाय तो इससे कई प्रकार के विकार जैसे क्षय रोग, दमा, खून का बहना, स्कर्वी, मधुमेह, खून की कमी, स्मरण शक्ति की दुर्बलता, कैंसर अवसाद एवं अन्य  समय से पहले बुढ़ापा एवं बालों का झड़ना एवं सफेद होने से बचा जा सकता है।

            प्राय: ऐसा देखा गया है कि यदि एक चम्मच ताजे आँवले का रस, एक कप करेले के रस में मिश्रित करके दो महीने तक प्राय: काल सेवन किया जाय तो प्राकृतिक इन्सुलिन का श्राव बढ़ जाता है। इस प्रकार यह मधुमेह रोग में रक्त मधु को नियंत्रित करके शरीर को स्वस्थ करता है। साथ ही रक्त की कमी, सामान्य दुर्बलता तथा अन्य कई परेशानियों से मुक्ति दिलाता है।

आवंले  का सेवन  करने  के कुछ लाभ निम्न हैं

  • आवंले  का सेवन  करने से जोड़ो का दर्द, गठिया, और सूजन में आराम  मिलता है।
  • बालो को सुन्दर , चमकदार  और मजबूत बनाने के लिए केरोटीन  नामक प्रोटीन  की जरूरत होती है, जोकि आवंले  में पाया जाता है। इसीलिए आवंले  का रोजाना सेवन  करना चाहिए। आवंला बालो  को जड़ो से मजबूत  बनाये रखता है, और बालो  को प्राकृतिक रूप से काला  बनाये रखता है।
  • मोटापे  से परेशान  लोगो के लिए आवंले  का सेवन  फायदेमंद  है। आवंला  शरीर में जमी अतरिक्त वसा को हटाकर, शरीर  में कोलेस्ट्रॉल  के स्तर  को कम कर देता है।
  • रोजाना आवंला खाने  से पाचन क्रिया मजबूत  होती है, और खाना  अच्छे से पचता  है।
  • मधमेह  के मरीज  के लिये आवंला  एक रामबाण औषधि  है। जिसके सेवन से मधमेह  को आसानी से कण्ट्रोल किया जा सकता है। मधमेह  के मरीज  को आवंले , करेले  और जामुन का पाउडर बराबर मात्रा में मिलाकर एक चम्म्च रोजाना खाना चाहिए। आवंले  के पाउडर में हल्दी पाउडर  मिलाकर रोजाना सेवन करने से भी मधमेह के रोगी  को आराम मिलता है।
  • रोजाना सुबह खाली पेट आवंले  का जूस पीने से, शरीर  से सारे गंदे तत्व  बाहर निकल जाते है। जिसके कारण लिवर सही तरीके से काम करता है।
  • रोजाना आवंले  खाने  से आँखो की रौशनी कभी कम नहीं होती, और जिनकी आँखो की रौशनी कम है, उसकी आंखे ठीक हो जाती है।
  • आवंले  में पाये जाने वाले एंटी बैक्टरियल गुण  शरीर  की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर शरीर को अनेक प्रकार के संक्रमण  से बचाते है।
  • शरीर  में खून की नलिकाओं  में कोलेस्ट्रॉल  जमने के कारण हार्ट अटैक  होने के चांस बढ़ जाते है। आवंले में पाया जाने वाला विटामिन C  खून की नलिकाओं  में कोलेस्ट्रॉल  को जमने नहीं देता। जिसके कारण ब्लड प्रेशर  सामान्य  रहता है, और हार्ट अटैक  का खतरा  भी कम हो जाता है।
  • गाय के दूध  के साथ आवंले का मुरब्बा  खाने से या आवंले  को शहद  में मिलाकर खाने से खाँसी  में आराम मिलता है।
  • आधे कप आवंले  के जूस में आधा कप पानी मिलाकर कुल्ला करने से मुँह के छाले  ठीक हो जाते है।
  • आवंले  का जूस पेट की सारी बीमारिया  दूर हो जाती है। आवंले का पाउडर एसिडिटी  के लिए भी फायदेमंद  है।
  • आवंले  का रोजाना सेवन करने से खून  में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है। जिसके कारण शरीर में कभी भी खून की कमी नहीं होती।
  • आवंले  के निरंतर सेवन करने से शरीर  में खून का संचार  अच्छे से होता है, और दिल  की मासपेशियां  मजबूत होती है।
  • अगर आप नींद ना आने के समस्या  से परेशान  है, तो रोजाना आवंला  खाये। आवंला  खाने से नींद  अच्छी आती है।
  • पथरी  की समस्या  होने पर आवंले  के पाउडर को रोजाना मूली के रस में मिलाकर खाने से पथरी  कुछ दिनों में ठीक हो जाती है।
  • शहद के साथ आवंले जूस पीना दृष्टि में सुधार के लिए अच्छा है । यह पास-दोश और मोतियाबिंद को सुधारने में मदद करता है जबकि अंतर-नेत्र तनाव को कम करने । यह मुख्य रूप से अपने प्रभावशाली कैरोटीन सामग्री के कारण है ।

लेखक विवरण

 (*ओम प्रकाश जीतरवाल1, बाबू लाल धायल1, केशर मल चौधरी2 राजेन्द्र ओला2)

1चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा

2 श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर

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